- स्वप्न सुंदरीनयनों में सपने हो कर वो अक्सर आती है
धुंधली है तस्वीर मगर मन को भाती है
मन पे हो अधिकार कभी तो तेरा ही होने पाए
मन की तू मनमीत हुई तू स्वप्नलोक की साथी है
महज लकीरों से सजी न नयन नख्श न चेहरा है
दुनिया की हकीकत ने दिये जख्म हर जख्म गहरा है
कल्पना लेने लगी आकार सपनो से हुआ प्यार
मन पे करती है राज दिल पे उसी का पहरा है
सपनो की दुनिया छोड़
हकीकत होने को आमादा हो गई
वो लकीरों से ज्यादा हो गई
हवाएं कह रही
है यही कहीं
ऊपर वाले ने देर से सुनी
पर सुनी है
मौसम ने मिजाज़ बदला
हम समझने लगे
बेरंग तस्वीर में रंग उभरने लगे
चेहरे के दाव पेच से परे रहे
बस मन से घिरे रहे
अक्ल कशमकश में
भीड़ में चेहरे तमाम
दिल कह रहा
आँखों को दे आराम
ये मन का काम
ये यकीन न हुआ जिंदगी हमे भी चाहेगी
स्वप्न सुन्दरी हमारी हकीकत हो जाएगी
: शशिप्रकाश सैनी
PS : This is a guest post on DVD ,as I have recently made the new page about DVD accepting the Guest Posts.This post is written by Shashiprakash
Saini who blogs here.About him I can only say that he is an artist who writes hindi poetry from his heart.I love reading his Poetry.His Blog is full of hindi poetry , you will love reading it.
मेरी कविता को आप ने अपने ब्लॉग पे जगह दी इसका दिल से आभार
ReplyDeleteIts my pleasure Dear
Deleteबहुत ही अच्छा लिखा है.... बेहतरीन कविता...
ReplyDeleteMy Pleasure sharing it !
DeleteHey Rahul! Shahsi! Is sundar kavita ko likhne ka shrey Shashi ko aur hum tak pahunchane ke shrey DvD ko jaata hai
ReplyDeleteThankew , it was my pleasure to share his work
Deleteशशि जी को पढ़ती हूँ नियम से...
ReplyDeleteसुन्दर रचना साझा करने का शुक्रिया राहुल जी.
अनु
Pleasure
DeleteShashi bhai kuchh karo:) ab toh Rahul bhi aapke saath hai:)
ReplyDeleteAll the best..:)
i was always with him !
DeleteBeautiful poem !
ReplyDeleteIt Surely is !
Delete